लताजी के स्वर उत्सव में आज हमने आपको स्नेहल भाटकर का एक गीत सुनाने का निश्चय किया है। स्नेहल भाटकर ने कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया जिनमें से प्रमुख है हमारी याद आयेगी। इस फिल्म का गीत कभी तन्हाईयों में बहुत प्रसिद्ध हुआ और साथ ही गीत की गायिका मुबारक बेगम भी।
यूनुस खान ने अपने ब्लॉग रेडियोवाणी पर स्नेहल भाटकर पर एक विस्तृत लेख भी लिखा था और उनके संगीतबद्ध गीत भी सुनवाये थे। आप उन्हें यहाँ देख सकते हैं।
स्नेहल भाटकर के निर्देशन में महान गायक - संगीतकार हेमंत कुमार ने भी गीत गाया था; लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवां...बहरहाल आज हम जो आपको गीत सुनाने जा रहे हैं वह हिन्दी में ना होकर मराठी में है। कहते हैं ना संगीत किसी भाषा का मोहताज नहीं होता! इस गीत के बोल समझ में नहीं आते, अर्थ पता नहीं चलता ; फिर भी गीत सीधे दिल में उतर जाता है। इस गीत की खास बात यह है कि खुद स्नेहल भाटकर ने लताजी का साथ दिया है। स्नेहल एक अच्छे संगीतकार होने के साथ बहुत अच्छे गायक भी थे। स्नेहल भाटकर का २९ मई को निधन हो गया था।
आईये सुनते हैं इस सुमधुर मराठी गीत को।
चित्र: डाउनमेलोडी लेन से साभार
2 टिप्पणियाँ:
गीत सुनवानें के लिए आभार।
अच्छी जानकारी और
श्री भाटकरजी को याद करने का शुक्रिया !
- लावण्या
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