Wednesday, September 17, 2008

लता/80 स्‍वर उत्‍सव--चौथी कड़ी---ना जिया लागे ना, सलिल चौधरी का संगीत । एक गाने के दो रूप

लता/80 स्‍वर-उत्‍सव में कल आपने मदनमोहन के संगीत का आनंद लिया ।
आज हम आपको ले चल रहे हैं संगीतकार सलिल चौधरी के उस रचना-संसार में जहां लता मंगेशकर की स्‍वरल‍हरियां अपना तिलस्‍म रचती हैं ।

लता जी का सलिल चौधरी से विशेष अनुराग रहा है और सलिल दा ने लता जी के लिए हमेशा बेहद अनूठे और प्रायोगिक गीत तैयार किये हैं ।
क्‍या हम भूल सकते हैं परख फिल्‍म का गीत--ओ सजना बरखा बहार आई या फिर मचलती आरजू खड़ी बाहें पसारे ।
मधुमति का आ जा रे परदेसी या फिर चढ़ गये पापी बिछुआ । लता और सलिल चौधरी के सुंदर संयोजन की फेहरिस्‍त काफी लंबी है । पर श्रोता-बिरादरी के रसिक श्रोताओं के लिए आज सलिल चौधरी के रचना संसार से एक ऐसा गीत जिसके दो रूप हैं ।
सलिल दा के बारे में ये तो आप जानते ही होंगे कि उन्‍होंने दुनिया भर के संगीत को अपनाया था । कभी किसी रूसी लोकगीत की धुन को अपने गाने में उतार दिया तो कभी किसी बांगला बाउल गीत को गाने की धुन बना लिया । कभी किसी विदेश सेना की मार्चपास्‍ट धुन बन गयी--जिंदगी कैसी पहेली हाय ।
कई बार तो ऐसा भी होता रहा कि सलिल दा धुन पर अपने डमी शब्‍द भी लिख देते थे । और गीतकार उन्‍हीं डमी शब्‍दों को आगे बढ़ा लेते थे ।
ऐसे अनगिनत गाने हैं जिन्‍हें सलिल दा ने बांगला और हिंदी दोनों में तैयार किया है । और इन्‍हीं गानों की फेहरस्ति में शामिल है ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्‍म आनंद का गीत । हिंदी में इसके बोल हैं--ना जिया लागे ना । और बांगला में हैं--ना मोनो लगो ना ।
आज श्रोता बिरादरी पर हम चाहते हैं कि आप इस गाने के दोनों रूपों का लुत्‍फ उठायें और ध्‍यान दें कि इस गाने में एक पाश्‍चात्‍य मिज़ाज है तो दूसरी तरफ कैसे छिपी हुई भारतीयता है । कैसे इस गाने में लता जी के नीचे स्‍वर भी हैं और जब वो अपनी आवाज़ को उठाती हैं तो जैसे धरती और आकाश मिलते हुए नजर आते हैं ।

ये रहा इस गाने का बांग्‍ला संस्‍करण


 और ये रहा इस गाने का हिंदी संस्‍करण जो फिल्‍म आनंद में था ।


ये रहे इस गाने के बोल।




हिन्दी
ना जिया लागे ना
तेरा बिना मेरा कहीं जिया लागे ना ।
जीना भूले थे कहां याद नहीं
तुझको पाया है जहां सांस फिर आई वहींजिंदगी तेरे सिवा हाय भाए ना ।
ना जिया लागे ना ।।

तुम अगर जाओ कभी जाओ कहीं
वक्‍त से कहना ज़रा वो ठहर जाए कहीं
वो घड़ी वहीं रहे, ना जाये ना
ना जिया लागे ना ।।


বাংগ্লা/ बांग्ला
ना मोनो लागे ना
ए जिबोने किछु जेनो भालो लागे ना
ना मोनो लागे ना
ई नोदिर दुई किनारे दुई तोरोनी
जोतोई नाबाइ नोंगोर बाधा काछे जेते ताई पारिनी
तुमी ओ पार थेके हाय सोरोनी ना
मोनो लागे ना

ना मोनो लागे ना
छोके छोके छेये कान्दा भालो लागे ना

आमी जे क्लांतो आजी शोक्ती उधाओ
कि होबे आर मिची मिची बेये बेये एइ मिछे ना
तुमीओ
तुमीओ ओपार थेके जाओ छोले जाओ ना
मानो लागे ना





लता/80 स्‍वर उत्‍सव में कल के संगीतकार होंगे श्‍याम सुंदर
जारी है स्‍वर उत्‍सव ।

6 टिप्पणियाँ:

पारुल "पुखराज" said...

kya hi acchha hota jo bengali bol bhi mil jaatey!!!geet to sadaa bahaar hai hi..isi kadi me film PARAKH ka O SAJNA BARKHA BAHAAR sunvaiye

सागर नाहर said...

लीजिये पारुलजी
आपकी फरमाईश पर बंगाली बोल हाजिर है
ना मोनो लागे ना
ए जिबोने किछु जेनो भालो लागे ना
ना मोनो लागे ना

ई नोदिर दुई किनारे दुई तोरोनी
जोतोई नाबाइ नोंगोर बाधा काछे जेते ताई पारिनी
तुमी ओ पार थेके हाय सोरोनी ना
मोनो लागे ना

ना मोनो लागे ना
छोके छोके छेये कान्दा भालो लागे ना

आमी जे क्लांतो आजी शोक्ती उधाओ
कि होबे आर मिची मिची बेये बेये एइ मिछे ना
तुमीओ
तुमीओ ओपार थेके जाओ छोले जाओ ना
मानो लागे ना

पारुल "पुखराज" said...

bahut shukriyaa..SAGAR ji...ab seekh sakuungi

Harshad Jangla said...

दोनों गीत बड़े खुबसूरत अंदाज़ में दीदी ने गाये है | तुलना करनी अति कठिन है |
सलिलदा का संगीत उभर कर सामने आता है |
एक और प्यारा प्यारा गीत देने के लिए दिल से धन्यवाद |
-हर्षद जांगला
एटलांटा , युएसए

दिलीप कवठेकर said...

सलिलदा स्वयं भी एक गीतकार थे और अच्छे गीत लिखते थे. प्रस्तुत गीत हिंदी में गुलज़ार नें लिखा है.

Manish Kumar said...

waah bengali mein is geet ke bol dekh kar aur audio man khush ho gaya.

ab tak pesh geeton mein mera sarvapriya.

 
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