Sunday, September 7, 2008

श्रोता-बिरादरी :पावन सुरों की पटरानी का पिचहत्तरवाँ जन्म दिवस

आशा भोंसले महज़ एक आवाज़ नहीं,युगों युगों से छन कर आ रहा एक
पावन सुर हैं.सबसे पहले तो उन्हें पिचहत्तरवें जन्म दिवस की अग्रिम बधाई.

इस अज़ीम फ़नकारा ने हर रंग,मूड,क़िरदार कविता और धुन को सुरीला बना दिया है. लगातार छह दशक (प्रारंभ;1948) से संगीत के सिंहासन पर विराजमान इस विशिष्ट स्वर ने हम श्रोताओं के दिलों पर जागीरदारी की है.आशाजी की निजी ज़िन्दगी में
मौजूद रहा दर्द उनके संगीत में भी झरा है. उल्लास,मस्ती,उमंग और चिर-यौवन की गायिका तो वे हैं ही लेकिन विरह और दर्द की जो टेर उनके कंठ से फ़ूटी है उससे वह अपनी समकालीन या अपनी पूर्व की गायिकाओं से एक क़दम आगे निकल जाती हैं.

आशा भोंसले अपने समय का सबसे सुरीला दस्तावेज़ हैं और उनके जन्म-दिवस पर विरह में आकंठ डूबे एक अनमोल गीत के साथ श्रोता-बिरादरी सोमवार(8 सितम्बर) को आपसे फ़िर रूबरू होने जा रही है...मौक़ा भी है और दस्तूर भी.अपने सुरीले कान वाले मित्रो/परिजनों को भी बाख़बर कीजियेगा.

सोमवार ; श्रोता-बिरादरी की सुरीली बिछात और अमृत-आशा !

2 टिप्पणियाँ:

Sajeev said...

कमाल है इतने गीत सुने हैं बचपन से अब तक, पर कुछ गीत आप लोग ऐसे ला देते हैं जो या तो पहले कभी नही सुने या फ़िर इतने ध्यान से कभी नही सुने, आपको पढने के बाद गीत सुनना और भी सुखद लगता है, आशा जी को जन्मदिन की बधाई

Udan Tashtari said...

आशा जी को जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाऐं.

 
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