Tuesday, September 23, 2008

लता/80 स्‍वर उत्‍सव दसवीं कड़ी--अगर मैं पूछूं जवाब दोगे--जी.एस.कोहली का गाना ।

लता/80 स्‍वर उत्‍सव पूरे जोशो खरोश के साथ जारी है । पिछले दिनों हमने आपसे वादा किया था कि एक कम चर्चित संगीतकार और लता ही के साथ की बातें की जायेंगी । लेकिन फिर हम मुड़ गए थे संगीतकार रवि की ओर ।
आज हम पुन: उस भूले-बिसरे सूत्र को पकड़कर लता/80 स्‍वर उत्‍सव को आगे बढ़ा रहे हैं । लता जी ने कई ऐसे संगीतकारों के साथ काम किया है, जिनका फिल्‍मी दुनिया में उतना नाम नहीं हुआ जिसके वो हक़दार थे । और दिलचस्‍प बात ये है कि लता जी के कुछ बेमिसाल गाने ऐसे संगीतकारों ने दिये हैं ।
आज हम जिस संगीतकार के साथ लता जी का एक दो-गाना लेकर आए हैं, lata-mangeshkar-mohd-rafi उसके बारे में हमें खुद ज्‍यादा जानकारी नहीं है । अगर श्रोता बिरादारी के चाहने वालों को उनके बारे में ज्‍यादा पता है तो ज़रा हमें रोशनी दिखाईयेगा । इनका नाम है जी.एस.कोहली । कोहली साहब की सबसे बड़ी फिल्‍म मानी जाती है 'शिकारी' । जो सन 1963 में आई थी । इसके अलावा उनकी मशहूर फिल्‍में हैं-'नमस्‍ते जी' जो सन 1965 में आई थी । इसके अलावा कुछ और फिल्‍में हैं पर उनका ज़रा भी नाम नहीं हुआ ।
बहरहाल । फिल्‍म शिकारी का ये गाना हमने क्‍यों चुना । ये सबसे बड़ा सवाल है । दरअसल ये एक बहुत ही नशीला युगल गीत है । रफी साहब और लता जी दोनों की आवाज़ में एक प्रेमिल-मादकता है । जब लता जी 'ज़रा-ज़रा है' को जिस तरह लहराकर गाती हैं तो दिल अश अश कर उठता है । और फिर उसके बाद उनका आलाप । उफ़ ।
गाने का संगीत संयोजन कमाल है । अदभुत है । ज़रा वाद्यों के इस्‍तेमाल पर ग़ौर कीजिए । सेक्‍सोफोन, बांसुरी, सितार, ग्रुप वायलिन । इन सबका ऐसा इस्‍तेमाल जो हम पर एक नशा तारी कर देता है । फिल्‍म संगीत के सबसे नशीले गानों में हम इसकी गितनी करते हैं  । तो चलिए इस गाने में डूब जाएं, ये तीन मिनिट दस सेकेन्‍ड का तिलस्‍म है । एक बार गाना शुरू किया तो आप इससे बाहर नहीं आ पायेंगे ।
लता जी को सलाम और उससे भी ज्‍यादा सलाम जी.एस.कोहली को ।

गाने के बोल--
अगर मैं पूछूं जवाब दोगे
दिल क्‍यों मेरा तड़प रहा है
तेरे भी दिल में है प्‍यार कुछ कुछ
मेरे भी दिल में ज़रा ज़रा है ।।
बुरा ना मानो तो अपने हाथों
ये बिखरी जुल्‍फें संवार दूं मैं
हसीन पलकों की छांव में अब
ये सारा जीवन गुजार दूं मैं
ये दिल की बातें कोई ना सुन लो
सनम जमाना बड़ा बुरा है । अगर मैं पूछूं ।।
नजर बचाके अगर मैं जानूं
तो मेरा दामन ना थाम लेना
कोई जो पूछे ये क्‍या हुआ है
कभी भी मेरा ना नाम लेना ।
लगा कि दिल से रखेंगे हम तो
ये दर्द तेरा दिया हुआ है ।। अगर मैं पूछूं
ये ठंडी ठंडी मचलती लहरें
हमारे दिल को जला ना जाएं
उठे हैं तूफां दिलो नज़र में
किसे बचाएं किसे संभालें
ना चैन तुमको ना होश तुमको
ये क्‍या हुआ है ये क्‍या हुआ है । अगर मैं पूछूं ।।



लता/80 स्‍वर उत्‍सव जारी है ।
कल एक और संगीतकार की चर्चा होगी ।

6 टिप्पणियाँ:

दिलीप कवठेकर said...

मेरी पहली टिप्पणी?

मैं ही शायद वह मर्त्य हूं जो इस गाने के तारी किये mood और नशे के ambience से पहले बाहर निकल आया. बाकी सब का बेहोशी के आलम में अभी तक होना लाज़मी है, ये ऐसा नशीला गीत है.

नायक और नायिका के अंतरंग के platonic एहसास को यह गीत जुबां देता है. एक सुकून का आलम तारी है,भावनाओं में एक undercurrent बह रहा है. मिलन है भी और नही भी.मदन का तीर आधा चुभा हुआ है.

यह गीत सुनकर, आप और हम इस यथार्थ के वर्तमान से कपूर की मानींद पिघलकर हवा में विलीन हो जाते है , उस युग में transport हो जाते है और छूट जाती है सिर्फ़ हमारी यादों का सुगन्ध, जो हमारे वजूद की तस्दीक तो करता है, मगर इस गीत के फ़ैलाये रोमांटिक मायाजाल में घुल मिल जाता है.

किसी accident के कारण से मैं तीन चार दिनों से घर में पडा हूं और मुझे मेरे एक मित्र नें सलाह दी बस श्रोता के इस ब्लोग पर चले जाओ, पट्टा खुल जायेगा.

यकीन मानिये, इन सभी गीतों में पीडा हरने का जो गुण है, मै साक्षात अनुभव कर रहा हूं. यह बात अलग है, कि इन गीतों से जो पीडा या चुभन उठ रही है उसे कौन मिटायेगा?

(-----, वो खलिश कहां से होती, जो जिगर के पार होता..!!!)

दिलीप कवठेकर said...

यहां एक और बात जोडने की इजाज़त दें.
कल ही अजातशत्रु कह रहे थे,लताजी हमारे और खुदा के बीच की कडी है. उनके गाने के शुरु होते ही समय ठहर जाता है, और हम एक अतिरिक्त स्पेस में आ जाते हैं.

Anonymous said...

bahut dhanyaad itna madhur gaana sunane ke liye
manjot bhullar

Harshad Jangla said...

Another sweet song-duet.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

Umesh Vyas said...

श्रोताओ के लिये लताजी की अनमोल तथा अलौकिक धरोहर की इन मनोरम और रसिक्त प्रस्तुति के लिये आपकी टीम की जितनी भी तारीफ़ की जाये, कम ही होगी. विश्वास है कि यह पवित्र, मधुर धारा अविचल, अविरल प्रवाहित होती रहेगी. उमेश व्यास

Umesh Vyas said...

श्रोताओ के लिये लताजी की अनमोल तथा अलौकिक धरोहर की इन मनोरम और रसिक्त प्रस्तुति के लिये आपकी टीम की जितनी भी तारीफ़ की जाये, कम ही होगी. विश्वास है कि यह पवित्र, मधुर धारा अविचल, अविरल प्रवाहित होती रहेगी. उमेश व्यास

 
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