Saturday, August 16, 2008

गायन,वादन और नृत्य की पूर्णता की तलाश को पूरी करती श्रोता-बिरादरी.

दो दिन तक उत्सवी आनंद से सराबोर रहे हैं आप सब. उम्मीद है बहुत मज़ा रहा होता इन पिछले दो दिनों में.अब सोमवार से फ़िर आपको अपने अपने काम की तैयारी में मसरूफ़ हो जाना है तो निश्चित ही अतिरिक्त उर्जा की ज़रूरत महसूस कर रहे होंगे आप. तो तैयार हो जाइये ...वादे के मुताबिक श्रोता-बिरादरी लेकर आ रही है अपनी नियमित रविवारीय प्रस्तुति।

चित्रपट संगीत ने सभी विधाओं को बख़ूबी निभाया है.एक से बढ़कर एक प्रतिभा-सम्पन गायकों ,वादको,अभिनेताओं,गीतकारों और संगीतकारों ने अपने हुनर से जगमगाया है. रविवार की सुबह आपसे मुख़ातिब होती प्रस्तुति एक विलक्षण प्रस्तुति है. संगीतकार के कम्पोज़िशन का कमाल देखिये...शायर ने मनोरंजन परोसते हुए कैसे ज़िन्दगी के फ़लसफ़े का संकेत भी है और देखिये कितने दमख़म से गाया गया है यह गीत अपने ज़माने के जानेमाने पार्श्वगायक ने. चूँकि यह एक परिपूर्ण नृत्य गीत है सो इसमें आपको बेहतरीन वाद्यवृंद भी सुनाई देगा.

मिलते हैं रविवार 17 अगस्त की सुबह

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