संगीत तो जैसे उसे घुट्टी में ही मिला था. घर में पूरा वातावरण ही संगीतमय था.
कम उम्र में ही उसने अपने पिता के साथ संगीत की दुनिया को देखना परखना शुरू कर दिया था. लेकिन एक छटपटाहट थी कि जब भी शुरू करूंगा तो कुछ इस अंदाज़ मे कि मेरा काम अलहदा दिखाई देना चाहिये. और वह अपने संकल्प पर क़ायम रहा. जब भी ,जो भी काम किया , ऐसा कि मील का पत्थर बन गया. रिदम में कुछ ऐसे अलबेले प्रयोग किये कि सुनते ही आप कहें अरे ये तो वह संगीतकार है. हमारे अपने संगीत में पश्चिम का संगीत का रंग कुछ यूँ मिलाया कि नई पीढ़ी को जैसे अपनी मनचाही मुराद मिल गई.
पहले ही गीत में उसने देश की शीर्षस्थ आवाज़ से ऐसा गवाया कि वह गीत चित्रपट संगीत का कालजयी गीत बन गया. आइये याद करें और सुनें वही रचना रविवार 24 अगस्त की सुबह....
आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई.
Saturday, August 23, 2008
कल श्रोता-बिरादरी में एक रचनाधर्मी संगीतकार का पहला गीत.
Posted by यूनुस खान, संजय पटेल, सागर चन्द नाहर at 7:37 PM
श्रेणी रविवार, श्रोता-बिरादारी
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2 टिप्पणियाँ:
KBH.
Bareesh nahee to yahee geet kafee hai
Intezaar...Intezaar
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
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