कुछ बरस पहले मदनमोहन के बेटे संजीव कोहली ने उनके अन-रिलीज्ड गानों को एक सीडी में पिरोकर रिलीज़
किया था। इसे नाम दिया गया 'तेरे बगैर'।
इस सीडी में लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, तलत मेहमूद और किशोर कुमार के गाए अनमोल गीत हैं। सबसे ज़्यादा चौंकाते हैं दो गीत । एक रफ़ी साहब का गाया हुआ शीर्षक गीत "कैसे कटेगी ज़िंदगी तेरे बग़ैर-तेरे बग़ैर (राजा मेहंदी अली ख़ॉं-१९६५)' दूसरा गीत लताजी ने गाया है बोले हैं "खिले कमल सी काया (इंदीवर-१९७२) 'दोनों गायक महान क्यों हैं यदि जानना हो तो इन दो गीतों को सुनिये और अगर यह समझना हो कि कोई संगीतकार किसी गीत की घड़ावन कैसे करता है तब भी इन दोनों गीतों सुनिये। इन गीतों को सुनने के बाद आपको ये भी अंदाज़ा हो जाता है कि मदनमोहन के भीतर महज़ एक संगीतकार नहीं एक कवि और शायर भी हर पल ज़िंदा रहा। यही वजह है कि जब आप इन दोनों गीतों को सुनते हैं तो समझ में आता है कि कविता को सुरीली ख़ुशबू कैसे पहनाई जाती है।
चूँकि हम इन दिनों रफ़ी उत्सव मना रहें हैं सो आज श्रोता बिरादरी में हम रफ़ी साहब को ख़ासतौर पर याद कर रहे हैं 'तेरे बग़ैर' अलबम के शीर्षक गीत के ज़रिए।
song: kaise kategi zindagi tere bagair.
lyrics: raja mehdi ali khan
singer: mohd. rafi
duration: 4 28
कैसे कटेगी जिन्दगी तेरे बगैर-तेरे बगैर
पाऊंगा हर शै में कमी तेरे बगैर-तेरे बगैर
फूल खिले तो यूँ लगा फूल नहीं ये दाग़ हैं
तारे फ़लक पे यूं लगे जैसे बुझे चिराग हैं।
आग लगायें चाँदनी तेरे बगैर- तेरे बगैर
कैसे कटेगी जिन्दगी-तेरे बगैर-तेरे बगैर
चाँद घटा में छुप गया सारा जहाँ उदास है
कहती है दिल की धड़कने तू कहीं आस-पास है।
आ के तड़प रहा है कि जी तेरे बगैर-तेरे बगैर
पाऊंगा हर शै में कमी तेरे बगैर-तेरे बगैर
कैसे कटेगी जिन्दगी तेरे बगैर-तेरे बगैर
Saturday, July 30, 2011
तेरे बगैर-तेरे बगैर
Posted by
यूनुस खान, संजय पटेल, सागर चन्द नाहर
at
12:11 PM
श्रेणी Md. Rafi, मोहम्मद रफी
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4 टिप्पणियाँ:
कुछ सखसियत एसी हे जिन पर कुछ टिप्पणी करना सूरज को दिया दिखाने जेसा हे उस मुकाम को छूना आसान नहीं हे - ये लाजवाब गजल अब तक नहीं सुनी थी - पर हम येही कहेंगे तेरे बगेर ये ज़िंदगी अब तक सुनी ही हे वो आवाज़ तो हे पर किरदार नहीं हे -
marvelous voice of Rafi saheb, a treat for today...thanks 'SB'. - Rajeev Bumb
अब क्या कहें... सब सून है तेरे बग़ैर... तेरे बग़ैर..
बहुत प्यारा गाना है 'चाँद घटा छुप गया,सारा जहा उदास है 'शब्दों और खूबसूरत धुन साथ में रफी साहब की आवाज काश किसी फिल्मकार ने हिम्मत की होती.मजा आगया.
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