31 जुलाई को जिस शिद्दत से पूरी दुनिया अज़ीम गुलूकार मोहम्मद रफ़ी साहब को याद करती है वह हमें चौंकाता नहीं है क्योंकि वे थे ही इसके सच्चे हक़दार. जिस तरह की और जितनी आकस्मिक मृत्यु रफ़ी साहब को मिली वह साबित करती है कि वे बड़ी पुण्यवान आत्मा थे. उनकी सादा तबियत और गायकी का विलक्षण तेवर उन्हें उनके जीवन काल में ही एक स्कूल में तब्दील कर चुका था.
श्रोता-बिरादरी रफ़ी साहब को अपनी सुरांजली भेंट कर अभिभूत है. कोशिश रहेगी कि आगे भी अपने नियमित क्रम यानी रविवार के अलावा भी किसी बेजोड़ गायक,गीतकार,संगीतकार को याद करने का मौक़ा आया तो श्रोता-बिरादरी अपना विशेष संस्करण लेकर हाज़िर होगी. दर-असल इस शुरूआत का श्रेय भी आप सभी बिरादरों से मिले प्रतिसाद को ही जाता है जिसने हमें इस नये सोपान को रचने के लिये लगभग विवश ही कर दिया.
तो कल सुबह समय वही...तक़रीबन नौ बजे...31 जुलाई...रफ़ी साहब की 28वीं बरसी.
श्रोता बिरादरी एक विशेष गीत लेकर हाज़िर होगी. धुन,शायरी और सबसे बढ़कर गायकी के लिहाज़ से एक दुर्लभ गीत.रफ़ी परम्परा को आपसे रूबरू करवाता.
और हाँ कोशिश करें कि आप भी पूरे दिन रफ़ी साहब के गीत ही सुनें...
वही इस सर्वकालिक महान गायक के प्रति हम संगीतप्रेमियों की सच्ची और
और खरी श्रध्दांजली होगी.
Wednesday, July 30, 2008
कल पहली बार श्रोता बिरादरी का विशेष संस्करण-रफ़ी साहब की याद.
Posted by यूनुस खान, संजय पटेल, सागर चन्द नाहर at 8:23 PM
श्रेणी पुण्यतिथि, मोहम्मद रफ़ी
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2 टिप्पणियाँ:
रफ़ी साहब "आम आदमी" की आवाज हैं, जो सदियों तक कायम रहेगी, आपकी पेशकश का इंतजार रहेगा… 31 जुलाई को तो सिर्फ़ रफ़ी और रफ़ी ही होंगे बस…
श्रोता बिरादरी की इस पेशकश का बेसब्री से इन्तजार है ।
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