यह सुरीली सुबह का तीसरा रविवार है.जिस तरह से आपने श्रोता-बिरादरी
को सराहा है, स्नेह दिया है ; हमारी ज़िम्मेदारी बढ़ चली है.कोशिश है कि
संगीत के महासागर में से कुछ अनमोल मोती चुन कर आप तक पहुँचाएँ.
एक गुज़ारिश को फ़िर दोहराना चाहते हैं;आप जब भी श्रोता-बिरादरी पर
जारी किये गए गीत को सुनें या उसके बारे में पढ़ें तो अपनी टिप्पणी में
इस बात का ज़िक्र ज़रूर करें कि आपको इस रचना में नया क्या सुनाई दिया.
या जब पहले भी कभी आपने इस गीत को सुना है कौन सी ख़ास बात आपको
मोहती रही है.
चलिये तो फ़िर तैयार हो जाइये सुनने के लिये एक अनमोल रचना.
कम्पोज़िशन और कविता के लिहाज़ से ये एक न भुला सकने वाली
कृति है. संगीतकार का कारनामा ऐसा कि धुन तो आप भूल ही नहीं
सकते.गायकी ऐसी कि लगेगा सारे आलम का दर्द यहाँ सिमट आया
है.और शायरी के क्या कहने...कितने सरल शब्दों मे सिचुएशन को
अभिव्यक्त कर रही है. इस रचना को इसी रविवार सुनने
की ख़ास वजह भी है ......आपके कानोंपर इस संगीतकार
पर बरसों-बरस राज जो किया है..
बस कल सुबह ही की तो बात है...मिल बैठ कर सुन लेते हैं
यह गीत श्रोता-बिरादरी की बिछात पर....आइयेगा.
Saturday, July 12, 2008
रविवारीय सुबह में कल आ रही है आपकी “मन-मोहन” श्रोता बिरादरी
Posted by यूनुस खान, संजय पटेल, सागर चन्द नाहर at 2:48 PM
श्रेणी श्रोता-बिरादरी
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4 टिप्पणियाँ:
Where is the link to listen????
REgards,
Ramesh
Where is the link to listen????
REgards,
Ramesh
Where is the link to listen????
REgards,
Ramesh
यह बडी ही माकूल बात है कि आप के , मेरे या हम सब के मन मे किसी गीत के सुरो या शब्दो की कोई ना कोई बात मन को छू जाती है, उसे अभिव्यक्त करना इस बिरादरी के अस्तित्व को , उपादेयता को और भी द्विगुणित करेगा.
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