बलिहारी हो आपकी सुमन भाई (श्री सुमन चौरसिया) कैसी अदभुत और सुरीली सौग़ात दे दी आपने आज किशोर कुमार प्रेमियों के लिये. सबसे पहले श्रोता बिरादरी के असंख्य श्रोता-पाठकों की ओर से साधुवाद स्वीकारें.उम्मीद है आपसे ऐसे ही कई अनमोल हीरे उपहार के रूप में संगीतप्रेमियों को मिलते रहेंगे.
श्रोता-बिरादरों,

आज श्रोता बिरादरी पर सुनाया जा रहा गीत राजा मेहंदी अली ख़ाँ ने लिखा है और संगीतबध्द किया है भोला श्रेष्ठ ने जो अपने ज़माने के लाजवाब अरेंजर थे.उनकी बेटी सुषमा श्रेष्ठ ने एक ज़माने में मम्मी बोलो बोलो...पापा बोलो बोलो,मम्मी को पापा से पापा को मम्मी से प्यार है गाकर धूम मचा दी थी. बाद में यही सुषमा श्रेष्ठ पूर्णिमा के नाम से पार्श्वगायन करने लगीं
बहरहाल किशोर दा ने इस गीत में एक ग़ज़ब का दर्द सिरजा है. निसंदेह इस दौर में के.एल.सहगल और पंकज मलिक का स्वर फ़िजाँओं में गूँज रहा था जिसका असर किशोर दा की आवाज़ पर भी नज़र आ रहा है.सादी सी धुन है जिसके अंतरों में भी एकरूपता है और राजा साहब के शब्द हमेशा की तरह बेजोड़ शायरी का पता दे रहे हैं.लेकिन इस रचना में किशोर कुमार की गायकी अपनी पराकाष्ठा पर है.सनद रहे कि ये किशोर दा की गान-यात्रा के एकदम शुरूआती दौर का गीत है लेकिन दर्द को उकेरने हुनर बेमिसाल है. हाँ ये ज़रूर कहना चाहेंगे कि किशोर कुमार को सुनते वक़्त हमेशा ध्यान रखें कि इस कुदरती कलाकार ने कभी किसी उस्ताद से तालीम हासिल नहीं कि और गली-मुहल्ले के गवैये की तरह शुरूआत कर देश के शीर्षस्थ पार्श्वगायक के रूप में बेहिसाब शोहरत हासिल की.
भूलने वाले मुहब्बत का ज़माना याद कर
आ मेरी उजड़ी हुई दुनिया को फ़िर आबाद कर,
फूल मुरझा हुए हैं और रोती है बहार
जाने वाले ढूँढती है तुझको आँखे बार बार
आँख कहती है कि रो
कहता है दिल फ़रियाद कर
बाग़ में बेताब देखा है बहारों ने मुझे
रात को बेख़्वाब देखा है सितारों ने मुझे
दिल तो ऐसी ज़िन्दगी की क़ैद से आज़ाद कर
याद तेरी जा नहीं सकती दिले बरबाद से
पहले तुझसे थी मुहब्बत अब है तेरी याद से
मेरे अरमानों की दुनिया शौक़ से बरबाद कर
